Maithili Holi Comedy: पहिले फगुआ झुर- झमान: Jay Prakash Choudhary Janak

पहिले फगुआ झुर- झमान
सबहक फागुन, हमर बितैये सौने मास जनता भगवान !
ओ नीरस निरदैया मनसा, पहिले फगुआ झुर- झमान !!

मोनक बात मने में रहलै, ककरा पर करबै सिंगार !
ढ़ोआ में परिकल मरदाबा, की बुझ्तैक दुलार मलार ?
जेठ मासमें गाम अबैया, रखिहs विस्तर जतय बथान !!
ओ नीरस निरदैया मनसा, पहिले फगुआ झुर- झमान !!

तेहन मीठ सपना सपनेलियै, सौंसे देह पसेना घाम !
निन्न टूटल की लैह बलैया, ने ओ नगरी ने ओ ठाम !!
अप्पन मुक्का अपने छाती, जाह जुआनी भेलह जियान !!
ओ नीरस निरदैया मनसा, पहिले फगुआ झुर- झमान !!

नै पकैब पुआ मलपुआ, हमरा लागए हर-हर तीत !
बारह मासक बाद एहन दिन, की जानी के मरते के जीते?
लाख कहै छि चर्च नै करबै, तैयो चंडलबे पर ध्यान !!
ओ नीरस निरदैया मनसा, पहिले फगुआ झुर- झमान !!   

केहेन-केहेन सरभिस बला सब ऐल आठ दिन पहिने गाम !
ई सुधमुँहा डटल फैक्टरी, ओकर नै हमर दिन बाम !!
फोनक नम्मर जँ रहितेs, मालिक कें दितिये से डपटान !!
ओ नीरस निरदैया मनसा, पहिले फगुआ झुर- झमान !!

बड़ दुष्टाही सासु निसोखिया, हरदम बाजै भने न ऐल !
बिना कमेने कोना निमेरा, हमहूँ भार छियै लगिचैल !!
सुनीते हमरा तीर लगैये, ई बुढिया नमरी शैतान !!
ओ नीरस निरदैया मनसा, पहिले फगुआ झुर- झमान !!   

लक्पक-लक्पक दुनु दियर, भौजी संगे रंग बहार !
 मोछ पिजैले रहतनि सबहक, भोरे ठोकबै बजर केबाड़ !!
ता धरि रहब बंद कोठली, जा डूबत गोसैयाँ पड़त अजान !!
ओ नीरस निरदैया मनसा, पहिले फगुआ झुर- झमान !!  

एक बाप केर जँ हम बेटी, हेइये घिचलौं तीन लकीर !
गाम एतै नै टोकबै बजबै, अनमन बनबै बौक बहीर !!
"जनक" जनानी अहिना हनछिंन, देखिते देरी कछ्मछ प्राण !!
ओ नीरस निरदैया मनसा, पहिले फगुआ झुर- झमान !!
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2 comments

  1. Hi Friends,
    Wishing you & your family A very special Regards..........
    HAPPY HOLI !!!!!!

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